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दोस्तों, क्या आप जानते हैं wheatgrass juice आपके डेली रूटीन को कैसे बदल सकता है?

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1. मेरे विकल्पों में सबसे स्वास्थ्यवर्धक और टेक-फ्रेंडली आदतों में सें। 😄🌱 #WheatGrassMagic 2. हेय Millenials! मोर्निंग रूटीन को अपग्रेड करना चाहते हो? ट्राई करो होममेड wheatgrass juice और फिर देखो एनर्जी का लेवल! 💪🌿 #HealthyTechLife 3. जब भी मैंने अपने फ्रेंड्स को wheatgrass juice की रेसिपी शेयर की, उनका पहला रिएक्शन हमेशा वाह रहता है! चलो आज आपके साथ भी शेयर करता हूँ। 🍹🌟 #WheatGrassLifestyle 4. स्क्रीन टाइम ज्यादा है? आँखों को रिलैक्स करने और बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए wheatgrass juice पेटेंट रेमेडी हैं। ☘️💚 #TechDetox 5. यदि आप सोच रहे हैं कि DIY हेल्थ ड्रिंक कैसे बनाएं, तो मैं यहां हूँ आपकी गाइड करने के लिए। जुड़िए मेरे साथ और बनाइए अपना पहला wheatgrass juice!🌿✨ #DoItYourselfHealth 6. सुनो, जिम जाने का समय नहीं? कोई बात नहीं, घर पर ही बना सकते हैं ताजगीभरा wheatgrass juice जो आपको फिट रखेगा। 🏃🍵 #FitnessAtHome 7. फोन पर नए एप्स ढूंढते हो? आज अपने टेक टूल के साथ wheatgrass भी ट्राई करो, ये नैचर का अपना एप है जो सेहत बनाए रखता है। 📱🍀 #NatureTech 8. डिजिटल वर्ल्ड ...

बारिश के मौसम में क्या खाएं, कुछ हेल्थी

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  बारिश के मौसम में कुछ गरमा-गरम और हेल्थी खाने का अपना ही मजा है। युवा पेशेवरों के लिए, जो स्वाद और स्वास्थ्य का संतुलन रखना चाहते हैं, यहां 15 ऐसे व्यंजनों की सूची है जो बारिश के मौसम के लिए एकदम सही हैं: 1. ओट्स इडली: ये फुलाने वाली इडली सांभर के साथ न सिर्फ स्वादिष्ट होती है बल्कि इसमें फाइबर और प्रोटीन भी भरपूर होता है। यह आपके शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ स्वस्थ भी रखेगी। 2. वेजिटेबल सूप: बारिश के मौसम में गरमा-गरम सूप से बेहतर क्या हो सकता है? ताज़ी सब्जियों से बना सूप न केवल आपको गरमाहट प्रदान करता है, बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। 3. ग्रिल्ड कॉर्न: भुट्टा या ग्रिल्ड कॉर्न बारिश के मौसम में खाने का एक पारंपरिक स्नैक है। नमक, लाल मिर्च पाउडर और नींबू का रस मिलाकर इसे और भी जायकेदार बना सकते हैं। 4. स्प्राउट्स सलाद: स्प्राउट्स बहुत सारे विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होते हैं। एक ताज़ा सलाद के रूप में स्प्राउट्स का सेवन आपकी इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकता है। 5. खिचड़ी: खिचड़ी भारतीय घरों में एक कम्फर्ट फूड है। दाल और चावल के संयोजन से बनी यह पौष्...

मिलिए उस शख्स से जो 22 साल की उम्र में बना आईआईटी बॉम्बे का प्रोफेसर, कुछ साल बाद आईआईटी से निकाल दिया गया क्यों

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  अपनी अनगिनत उपलब्धियों और प्रतिभा की बदौलत, तथागत अवतार तुलसी आईआईटी बॉम्बे में  सहायक प्रोफेसर के पद काम कर रहे थे लेकिन जल्द ही यह सपना एक दुःस्वप्न में बदल गया जब 2019 में आईआईटी बॉम्बे में उनकी नौकरी ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया। बहुत से लोग कम उम्र में ही भारतीय प्रतिभा के रूप में पहचाने जाते हैं, लेकिन जल्द ही उनका करियर अप्रत्याशित मोड़ ले लेता है, कभी-कभी तो बहुत बुरा भी। आज हम आपको तथागत अवतार तुलसी नाम के एक प्रतिभाशाली बच्चे के बारे में बताएंगे, जो वर्तमान में बेरोजगारी की मार झेल रहा है, जो कि उसके जैसे भौतिक विज्ञानी के लिए एक बड़ी कमी है। सितंबर 1987 में बिहार में जन्मे तथागत अवतार तुलसी ने 9 वर्ष की आयु में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने 11 वर्ष की आयु में पटना साइंस कॉलेज से बीएससी की डिग्री प्राप्त कर इतिहास रच दिया और फिर 12 वर्ष की आयु में उन्होंने उसी कॉलेज से एमएससी की डिग्री प्राप्त की लेकिन, इन सभी उपलब्धियों के बावजूद, तथागत अवतार तुलसी रुके नहीं और उन्होंने बैंगलोर स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) से पीएचडी की और 21 वर्ष की उम्र ...

राजस्थान वन्यजीव अभ्यारण्य

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माउंट आबू राजस्थान के वन्यजीव अभ्यारण्य क्रम स्थापना वर्ष वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्रफ़ल k.M जिले 1 1985 बंध,बरेठा अभ्यारण्य 170.65 भरतपुर 2 1980 राष्ट्रिय मरू      उद्यान 3162.00 जैसलमेर, बाड़मेर 3 1988 बस्सी 138.69 चित्तौड़गढ़ 4 1983 भैंसरोड़गढ़ 201.40 चित्तौड़गढ़ 5 1955 दरराह 227.64 कोटा, झालावाड़ 6 1955 जयसमंद वन्यजीव अभ्यारण्य 52.34 उदयपुर 7 1982 जमवारामगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य 300 जयपुर 8 1975 जवाहर सागर 194.59 कोटा,बूँदी, चित्तौड़गढ़ 9 1983 कैलादेवी 676.82 करौली, सवाई माधोपुर  10 1955 केसरबाग 14.76 धौलपुर 11 1971 कुम्भलगढ़ 610.52 उदयपुर, राजसमंद, पाली 12.... 1960 माउन्ट आबू 326.10 सिरोही 13 1980 नाहरगढ़ जैविक अभ्यारण्य 52.40 जयपुर 14 1979 राष्ट्रीय चंबल    घड़ियाल 564.03 कोटा,बूँदी, सवाई माधोपुर, धौलपुर ,करौली 15 1983 फुलवारी-की  नाल अभ्यारण्य 511.41 उदयपुर, पाली 16 1982 रामगढ़ विषधरी 303.05 बूँदी 17 1955 रामसागर वन  विहार अभ्यारण्य 34.40 धौलपुर 18 1987 सज्जनगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य 5.19 उदयपुर 19 2012 सरिस्का ‘अ’ 3.01 अलवर 20 1955 सरिस्क...

Pottery Arts in Rajasthan पॉटरी चित्रकला, पोकरण पॉटरी :pokran jaisalmer & तबक Tbak work jaipur

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पॉटरी : चीनी मिट्टी के बर्तनों पर की जाने वाली आकर्षक चित्रकारी पॉटरी कहलाती है |पॉटरी का उद्गम (पार्शिया ईरान) में माना जाता है, जो फारस, अफगानिस्तान होती हुई भारत आयी इसका प्रचलन अकबर के समय हुआ | पोकरण पॉटरी 👇  जैसलमेर के पोकरण में मिट्टी के पात्र व अन्य कलात्मक सजावटी वस्तुएँ बनती हैं, जो पोकरण पॉटरी के नाम से जानी जाती है पोकरण पॉटरी को 2018 में Gi tag मिल चुका है  लाख की पॉटरी : बीकानेर👇     * इसमें बर्तनों पर लाख के टुकड़ों से डिजाईन बनायी जाती है   💫   ब्ल्यु पॉटरी: जयपुर कृपालसिंह शेखावत को 1974में पद्म श्री सम्मान मिला था  💫   ब्लेक पॉटरी : कोटा  💫   कागजी पॉटरी :अलवर  💫   सुनहरी पॉटरी : बीकानेर तबक /वर्क : जयपुर👇      चांदी के तार को हिरण की खाल की कई परतों के मध्य रखकर कई घंटो तक पीटने के बाद 'बारिक पत्र के समान पत्र बनता है वह तबक वर्क कहलाता है जो मिठाई पर लगाया जाता है इस कार्य को करने वाले पन्नीगर कहलाते हैं सवाई जयसिंह के समय पन्नीगरो...

Bagru Print बगरू प्रिंट, Rajasthan

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बगरू  राजस्थान  में हस्त ब्लॉक प्रिंटिंग के प्रसिद्ध केंद्रों में से एक है। बगरू प्रिंटिंग  एक पारंपरिक प्रिंटिंग तकनीक है जो प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके की जाती है। यह राजस्थान के एक सुदूर शहर में  'छीपा' समुदाय  द्वारा प्रचलित एक शिल्प है। यह क्षेत्र दो प्रकार के प्रिंटों के लिए लोकप्रिय है:  डब्बू प्रिंट और सेयाली-बगरू प्रिंट। बगरू छपाई आमतौर पर  नीले या काले रंग के पृष्ठाधार  पर की जाती है। सेयाली-बगरू मुद्रित कपड़े अपने विशिष्ट काले और पीले गेरू/क्रीम रंग संयोजन के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर, डब्बू प्रिंट एक विशेष प्रतिरोध तकनीक (प्रिंट को डाई से छिपाकर) का उपयोग करके बनाए जाते 2012 में बगरू हैंडब्लॉक प्रिंट को Geographic indication मिल चुका है  बगरू प्रिंट प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग का एक रूप है, जिसका अभ्यास भारत के बगरू में चिप्पस (100 से अधिक वर्षों से कपड़े पर छपाई की परंपरा में शामिल) द्वारा किया जाता है।  बगरू के इन प्रिंट्स को पूरी दुनिया में सराहा जाता है।  बगरू के प्रिंट, ...

पापा! बेटी का बचाव कहानी Joke

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  पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया! सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं – “सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है, मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ। आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है। रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाएगा। आप अपनी बेटी के साथ टाईम से पहुंचें।”.. बेचारे पापा क्या करते। आदेश के पाबंद… तुरंत छुट्टी लेकर, घर से बेटी को लेकर स्कूल पहुंच गए। सामने गुलाबी साड़ी पहने,छोटी सी बिंदी लगाए, नयी उम्र की, गोरी सी लेकिन बेहद तेज मैम बैठी थी। पापा कुछ बोल पाते कि इससे पहले लगभग डांटते हुए बोलीं -”आप अभी रुकिए, मैं आप से अलग बात करूंगी।” पापा ने बेटी की तरफ देखा और दोनों चुपचाप पीछे जाकर बैठ गए। “मैम बहुत गुस्से में लगती हैं” – बेटी ने धीरे से कहा। “तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड तो ठीक है” – उसी तरह पापा भी धीरे से बोले। “पता नहीं पापा, मैंने तो देखा नहीं।" -बेटी ने अपना बचाव किया। “मुझे भी लगता है, आज तुम्हारी मैम तुम्हारे साथ मेरी भी क्लास लेंगी।”–पापा खुद को तैयार करते हुए बोले। वो दोनों आपस में फुसफुसा ही रहे थे कि तभी मैम खाली होकर बोलीं – “हाँ! अब आप दोनों भी आ जाइए।" पापा किसी त...

हाथ के लिए व्यायाम

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मुट्ठी बनाना और फिर उसे छोड़ना आपकी उंगलियों के लिए एक अच्छा व्यायाम है। हाथों की अकड़न से राहत पाने के लिए आप इस आसान व्यायाम को कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। "O" बनाना आपकी उंगलियों के जोड़ों को ठीक से काम करने के लिए यह एक और सरल व्यायाम है। जब भी आपके हाथों में दर्द या अकड़न हो तो आप इस व्यायाम को कर सकते हैं। लिखना, कोट की ज़िप लगाना, किसी छोटी वस्तु को उठाने के लिए चुटकी बजाना - बहुत सारे काम ठीक से काम करने वाले हाथ के बिना नहीं किए जा सकते। हाथों की देखभाल कई अपक्षयी स्थितियाँ, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, गठिया, टेंडिनाइटिस और कार्पल टनल सिंड्रोम, आपके जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकती हैं और उन्हें तेजी से पीड़ादायक, दर्दनाक और कमजोर बना सकती हैं। थोड़ी सी भी हलचल जोड़ों में दर्द पैदा कर सकती है, लेकिन स्थिर रहने से केवल आपकी मांसपेशियां कमजोर होंगी और आपकी स्थिति खराब हो जाएगी। लक्षणों का कारण चाहे जो भी हो, चाहे यह हाथों का गठिया हो या गर्दन में कोई समस्या हो, आपके हाथों और उंगलियों की ताकत और लचीलापन खोने का खतरा होगा। इस प्रकार, स्थिति को स्थायी विकला...

जैसलमेर किला, Jaisalmer fort

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(गढ़ दिल्ली, गढ़ आगरो,भल अधगढ़ बीकानेर भलो चिणायो भाटियां, सिरजे तो जैसलमेर)  जैसलमेर के विशाल रेगिस्तान में जैसलमेर दुर्ग जिसे सोनार का किला  , स्वर् नाम से विश्व में जाना जाता है, किसी तिलिस्म व आश्चर्यलोक सा लगता है। रेत के अथाह समन्दर के बीच बने इस स्वप्न महल को देखकर मन में हैरत भरी जिज्ञासा जाग उठती है, कि आखिर वे कौनसे कारण व आकर्षण होंगे, जिसके वशीभूत हो भाटी राजा जैसल ने इस वीराने में अपना यह स्वप्न महल बनाया। जैसलमेर बलुवे पत्थरों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसी बलुवे पत्थरों से यहाँ का किला व अन्य भवन बने है। जब इन पत्थरों पर सूर्य की पहली किरणे पड़ती है तो वे इस नगर में बनी इमारतों व किले को अनोखा सौन्दर्य प्रदान कर स्वर्णिम आभा बिखेरती है। शायद इसी खासियत से इस किले को सोनार का किला व जैसलमेर को स्वर्ण नगरी कहा जाता है। जैसलमेर से पूर्व इस क्षेत्र की राजधानी लोद्रवा को यवन सैनिकों द्वारा उजाड़ देने के व यवनों के जाने के बाद जैसलदेव लोद्रवा का राजा बने। उन्होंने सुरक्षा की दृष्टि से एक ऋषि की सलाह पर यहाँ यह किला बनाकर अपने नाम पर जैसलमेर नगर बसाया। इस किल...

Pineapple, Mint मैंथा ज्यूस

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  अनानास पोदीना मैंथा ज्यूस  इसके चंचल उष्णकटिबंधीय स्पिन के लिए धन्यवाद, यह अनानास और पुदीना मार्टिनी आपके ग्रीष्मकालीन पेय भंडार में जोड़ने के लिए एक बेहतरीन नुस्खा है! तैयारी समय 5 मिनट सामग्री 🍃3 पुदीने की पत्तियां   💫 55 मिली जिन 🍍90 मिलीलीटर अनानास का रस 🫗नीबू के रस का एक छींटा 🥥1/2 चम्मच जैविक नारियल चीनी बर्फ़ निर्देश: एक शेकर में बर्फ भरें, उसमें पुदीने की पत्तियां, जिन, अनानास का रस, नीबू का रस और चीनी डालें और 30 सेकंड तक जोर से हिलाएं। इसे ठंडे मार्टिनी ग्लास में छान लें और अनानास के ताजे टुकड़े और पुदीने की पत्तियों से गार्निश करें।